https://lalbihariyadav.com/wp-content/uploads/2020/06/L2.jpg

प्रधानाचार्यों के हित और छात्र/छात्राओं के हित में:-

1- वर्ष 2004 की परीक्षा से वित्त विहीन विद्यालयों के प्रधानाचार्यो को केन्द्र व्यवस्थापक पद से हटाया गया था। 2004 से अनवरत न्यायलय तथा शासन स्तर पर संघर्ष करके 2011 की बोर्ड परीक्षा में वित्तविहीन विद्यालय के प्रधानाचार्य को केन्द्र व्यवस्थापक बनवाया गया जिसमें रिट संख्या 2239/06 का आदेश लागू हुआ जिससे वित्तविहीन विद्यालयों के प्रधानाचार्यो के सम्मान की सुरक्षा हुई।
2- वर्ष 2011 की परीक्षा में वित्तविहीन विद्यालयों में नियुक्त बाह्य पर्यवक्षक को भी वर्ष 2012 की बोर्ड परीक्षा से हटाने का निर्णय शासन स्तर
से कराया गया।

उ0प्र0 सरकार द्वारा जो भी योजनाएं छात्रहित में चलायी जाय उसे सवित्त व राजकीय व वित्त विहीन सभी प्रकार के मान्यता वाले
विद्यालयों पर समान रूपसे लागू हो जिसके लिए संघर्ष कर एक रूपता हेतु शासनादेश जारी कराया गया, जैसे (लैप्टाप, तथा कन्या
विद्याधन, साइकिल, प्रोत्साहन धनराशि आदि)